ज़िंदगी से मिलने को ताउम्र चला है,
बिना चले कब उसका काम चला है?
रास्तों में रोक दिया है जिंदगी को,
किसको बचाने का इंतज़ाम चला है?
मुट्ठी दो मुट्ठी चावल थमा देते हैं,
खैरात हो जैसे ये काम चला है?
बिन सोचे समझे सब काम चला है?
चकित हैं मजदूरों की बेशुमार भीड़ से,
पढ़ा-लिखा मुल्क क्यों हैरान चला है?
वो काम बोले जो चुटकी बजाते हो गए,
ध्यान बटाने से बाज़ीगर का नाम चला है!
ध्यान बटाने से बाज़ीगर का नाम चला है!
मजदूरों को मरने का काम मिला है,
लॉकडाउन में ये असल काम चला है!
लॉकडाउन में ये असल काम चला है!
भूख प्यास मजबूरी का लंबा सिलसिला है,
बिन काम कैसे मजदूरों का काम चला है!
बिन काम कैसे मजदूरों का काम चला है!
डॉक्टर भी खा रहे हैं मार, गुस्से
ओ नफरत की?
कुछ ऐसा सरकार से पैग़ाम चला है?
अपना धर्म सनातन, मज़हब उनका जिहादी,
किस रास्ते इस दौर का इंसान चला है?
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