टिकटोक पर बैन है! व्हाट्सएप से चैन है? पेटीएम फ़िर कैसा है? पीएम केयर में पैसा है? हाथ धोए पीछे पड़े खासे चिकने घड़े, खोखले भाषण सब, क्या कीजिएगा अब? मुफ़्त में राशन देंगे, योगा के आसन देंगे, झुठ आश्वासन देंगे, सवाल न होने देंगे! देश की सरकार है बात ये बेकार है, इंतज़ार करते मदद का, लाखों लाचार हैं! बात बढ-चढ कर बोलना, बीमारी मज़हब से तोल ना नफ़रत को भक्ति बोलना सत्ता के खेल हैं! सरपरस्त लकीर के फ़क़ीर हैं, कहाँ किसी के ज़मीर हैं, खून चूस मज़लूम का कामयाब सब अमीर हैं! ये कैसे हालात हैं, ...
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।