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देसधरम ज़ीरो करम!

देश क्या है,
धरम क्या है?
और आपका करम
क्या है?
भरम एकता का,
शोर अनेकता का?
जो अलग है, वो
ग़लत क्यों है?


देश क्या है?
सरकार?
निकम्मी, बेकार?
दुष्प्रचार?
छाँटती, बाँटती, तोड़ती
मोड़ती, सच को,
झूठ को प्रधान है,
नफ़रत को सम्मान है?
यही गीता का ज्ञान है!
कर्म करो,
धर्म की चिंता मत करो!!


तो सच कैसे पहचानें?
क्या मानें, क्या जानें?
वाइरल हुआ वो सच?
जो उकसाता है?
बहकाता है?
घर से बाहर आ
पहलू, जुनैद, रिज़वान
की मौत बन जाता है?
कानून आपके
साथ भी, और
आपके हाथ भी!
नफ़रत नशा है
और 
आपकी आदत!


वक्त ने करवट पलटी है,
चाल बदली है,
आपका क्या हाल है,
क्या नया ख़्याल है?
तरक्की, विकास, सभ्यता,
जिसपर हमको नाज़ है,
क्यों वो घुटने मुड़ी है?
मुँह बाए खड़ी है!
बात बहुत बड़ी है?
आपको क्या पड़ी है?


चीख़ने वाले हर जगह,
सड़क पर,
घर में, टीवी पर
सच का जोर नहीं
शोर का सच है
तोल मोल कर
बोलने वाले
गुनहगार हैं,
तानाशाह को
मन की बात
भूत सवार है!
और आपको
क्या गवार है? 

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