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हमारी सरकार - एक आत्मकथा!


हाथ पांव में दम नहीं
हम किसी से कम नहीं
बॉर्डर पर कुछ उठापटक
हमको उसका गम नहीं,
मर गए मासूम जवान,
घड़ियाली आंसूं हमरे भी
सच में आंखें नम नहीं?

हम पहले ही बोले थे
आज लड़ने का मन नहीं!
बोलने में हम सबसे आगे,
करने धरने का दम नहीं,
धर्म के नाम के धंधे सब
उसमें कोई सरम नहीं,

फल की चिंता हम न करते,
इसलिए कोई करम नहीं,
काम चल जाएगा झूठ से,
इसमें हमको भरम नहीं!
ताक़त ही सर्वेसर्वा है,
दिल के हम नरम नहीं!

पत्रकार सब पालतू पिट्ठु

सो कब्ज़ा सच पर कम नहीं!
बहका दे सब पब्लिक को,
इस बारे कोई वहम नहीं,
विरोध को ही खरीद लेते,
पूछो, किसकी ज़ेब गरम नहीं?
मजबूर की क्या मदद करना,
अबे! हमको काम कम नहीं?

काल मरे से आज मर,
आज मरे सो अभी!
हाथ पे हाथ धर मंत्रीगण,
चमड़ी मोटी कम नहीं!

वादे झूठे थे सब के सब
हमारा निठ्ठलापन नहीं, 
आप मान कर सच बैठे, 
मूरख आप कोई कम नहीं!


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