सुनने वाले बहुत हैं पर किसको कान करें?
ग़रीब हमारे दर्द हैं, कैसे यूँ बरबाद करें?
घर पहुंच जायँगे सोच चलते हैं,
कोई नहीं तो मौत से मिलते हैं!!
दर्द कहाँ हुआ,
आह कहाँ निकली!
आह कहाँ निकली!
सुना कहाँ किस ने,
क्या वजह निकली?
क्या वजह निकली?
सुनते हैं दर्द अगर तो बहरे कान कीजिए,
कोसों चलते मजलूम आप अंजान कीजिए!
रोटियां यतीम हो गयीं भूख के दौर में,
दर्द गुमशुदा हैं सारे, तालियों के शोर में!
मौसम बदला है और वक्त ठहरा हुआ है, भूखा है दर्द और बहुत गहरा हुआ है!
हर एक कदम दर्द से मुलाकात है, जाने समझें उन्हें कहां ऐसे हालात हैं? सुना है घर बैठे भी आप को दर्द हुआ, बहुत देर टी वी पर हमारा चर्चा हुआ!!
रोटियां यतीम हो गयीं भूख के दौर में,
दर्द गुमशुदा हैं सारे, तालियों के शोर में!
मौसम बदला है और वक्त ठहरा हुआ है, भूखा है दर्द और बहुत गहरा हुआ है!
हर एक कदम दर्द से मुलाकात है, जाने समझें उन्हें कहां ऐसे हालात हैं? सुना है घर बैठे भी आप को दर्द हुआ, बहुत देर टी वी पर हमारा चर्चा हुआ!!
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