
पैर ही छाले बन गए हैं
हवा के निवाले बन गए हैं,
जुड़े हाथ प्याले बने हैं
अपने मुल्क के निकाले बने हैं!
इस मुल्क में सब कुछ चलता है!
जैसे मजदूर हजार मील!
घर बैठे टीवी पर देखने मिलता है!
जैसे मजदूर हजार मील!
घर बैठे टीवी पर देखने मिलता है!
देश को बेरहमी से शमशान कर दिया!
भुख और मौत को मुसलमान कर दिया!
नफ़रत या द्वेष कहते हैं,
किसने कहा देश कहते हैं!
भुख और मौत को मुसलमान कर दिया!
नफ़रत या द्वेष कहते हैं,
किसने कहा देश कहते हैं!

भेड़िए भेड़ों के भेष हैं,
बाकी सब ठीक,
बड़ा प्यारा अपना देश है!
कोई सरपरस्त नहीं,
मुल्क को यतीम हम,
दिलासे खोखले निकले,
दिलासे खोखले निकले,

दूरियां बनाए रखना पुरानी परंपरा है,
बीमार संस्कृति बड़ी काम आ रही है!
बीमारी से मुक्ति मिली,
गरीबी से निज़ात,
जात, धर्म पूछें तो
और बिगड़ जाएगी बात!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें