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और आप!

एक आप हैं, 
आप दिख रहे हैं या कुछ दिखा रहे हैं, 
कहते कुछ नहीं पर कुछ फ़र्मा रहे हैं!

आप मुस्कराते हैं या सुबह को जगाते हैं,

चलिये आज सूरज़ को भूल जाते हैं :-)

नज़र छुपा रहे हैं या बचा रहे हैं ,
नज़दीकियों के अंदाज़ आ रहे हैं!

और एक आप
ये भी किसी का सच है, आप भी सचमुच!
कितना आसान है, जो किया अगर चुपचुप!

जो आप की नज़र में है, वही आज़ की खबर में है,
क्या समझें बारीकियों को ध्यान जिनका असर में है!


अटके हुए हैं आप अपनी ही तहरीरों में, 
रंग दिखते नहीं आप को तस्वीरों में!

क्या ये आप नहीं ?
आप अपने जख्मों को रंग लगाते रहिये 
असर होने के लिये एक आह काफ़ी नहीं!

अकेले हैं आप ये सोच छोड़ दीजे,
यूँ नज़रों पे इतना भरोसा न कीजे!



और आप सब !
रिश्ता कुछ नहीं फ़िर भी वास्ता आप से है,
मुसाफ़िर होने की कुछ ये भी तरकीबें हैं!

कोशिशें आपकी निशान हो जाये,
इरादे आपकी पहचान हो जायें,
सफ़र मुबारक है आपका,
बस मुश्किलें थोड़ी आसां हो जायें!



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