
कुछ् और हैं हलचल जहन की, जायज़ कीजे,
"मैं" मचल रहा है मन में, क्या माफ़िक कीजे!
शहीद हो गये मेरे खुदा मेरे पैदा होने को,
कितनी मशक्कत है एक यकीन होने को
मैंने ही अपने जहन में सेंध लगा रखी है,
ढुँढता हूँ लोग कहते हैं चीज अच्छी है!
"आज़ादी मेरे सवालॊं से मुझको नही मुमकिन,
मैं अपने नज़रियॊं की जंज़ीरों में बंधा हूँ!"
परेशां है सब कि रस्ता कुछ दुश्वार है,
ढुँढता हूँ लोग कहते हैं चीज अच्छी है!
"आज़ादी मेरे सवालॊं से मुझको नही मुमकिन,
मैं अपने नज़रियॊं की जंज़ीरों में बंधा हूँ!"
परेशां है सब कि रस्ता कुछ दुश्वार है,
मैंने अपने हि रस्ते गड़्ड़े खोद रखे हैं!

मुझे बस अपने हिस्से की परेशानी कुबूल है!
मैं कहता हूँ मेरा जिक्र करना फ़ुज़ूल है,
आपकी तवज्जो ही अपना पैसा वसूल है!
"फ़ुर्सत नहीं काम की मुझे आराम करने दो,
जिंदगी मेरी है मुझे ही आसान करने दो !"
"मेरे रास्ते क्यों हैं आपकी नासमझियाँ,
क्यों मेरे सफ़र में आपकी बदमिज़ाजियाँ,
ये वक्त अभी मेरे होने का है, इंसाँ!
रास नहीं आती मुझे आपकी समझदारियाँ!
"कोई सुबह कभी पुरी नहीं होती, काश कोई मज़बूरी नहीं होती,
जुटे हैं जोतने सब सारे समय को, हमसे ये मज़दूरी नहीं होती!
"फ़ुर्सत नहीं काम की मुझे आराम करने दो,
जिंदगी मेरी है मुझे ही आसान करने दो !"
"मेरे रास्ते क्यों हैं आपकी नासमझियाँ,
क्यों मेरे सफ़र में आपकी बदमिज़ाजियाँ,
ये वक्त अभी मेरे होने का है, इंसाँ!
रास नहीं आती मुझे आपकी समझदारियाँ!
"कोई सुबह कभी पुरी नहीं होती, काश कोई मज़बूरी नहीं होती,
जुटे हैं जोतने सब सारे समय को, हमसे ये मज़दूरी नहीं होती!
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