सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मैं !


कुछ् और हैं हलचल जहन की, जायज़ कीजे,
"मैं" मचल रहा है मन में, क्या माफ़िक कीजे!

शहीद हो गये मेरे खुदा मेरे पैदा होने को,
कितनी मशक्कत है एक यकीन होने को

मैंने ही अपने जहन में सेंध लगा रखी है,
ढुँढता हूँ लोग कहते हैं चीज अच्छी है!

"आज़ादी मेरे सवालॊं से मुझको नही मुमकिन,
मैं अपने नज़रियॊं की जंज़ीरों में बंधा हूँ!"

परेशां है सब कि रस्ता कुछ दुश्वार है, 
मैंने अपने हि रस्ते गड़्ड़े खोद रखे हैं!

मुबारक हो जिसे चाहिये चैन, सुकुं, आराम,
मुझे बस अपने हिस्से की परेशानी कुबूल है!

मैं कहता हूँ मेरा जिक्र करना फ़ुज़ूल है, 
आपकी तवज्जो ही अपना पैसा वसूल है!

"फ़ुर्सत नहीं काम की मुझे आराम करने दो,
जिंदगी मेरी है मुझे ही आसान करने दो !"

"मेरे रास्ते क्यों हैं आपकी नासमझियाँ,
क्यों मेरे सफ़र में आपकी बदमिज़ाजियाँ,

ये वक्त अभी मेरे होने का है, इंसाँ!
रास नहीं आती मुझे आपकी समझदारियाँ!

"कोई सुबह कभी पुरी नहीं होती, काश कोई मज़बूरी नहीं होती,
जुटे हैं जोतने सब सारे समय को, हमसे ये मज़दूरी नहीं होती!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पूजा अर्चना प्रार्थना!

अपने से लड़ाई में हारना नामुमकिन है, बस एक शर्त की साथ अपना देना होगा! और ये आसान काम नहीं है,  जो हिसाब दिख रहा है  वो दुनिया की वही(खाता) है! ऐसा नहीं करते  वैसा नहीं करते लड़की हो, अकेली हो, पर होना नहीं चाहिए, बेटी बनो, बहन, बीबी और मां, इसके अलावा और कुछ कहां? रिश्ते बनाने, मनाने, संभालने और झेलने,  यही तो आदर्श है, मर्दानगी का यही फलसफा,  यही विमर्श है! अपनी सोचना खुदगर्जी है, सावधान! पूछो सवाल इस सोच का कौन दर्जी है? आज़ाद वो  जिसकी सोच मर्ज़ी है!. और कोई लड़की  अपनी मर्जी हो  ये तो खतरा है, ऐसी आजादी पर पहरा चौतरफा है, बिच, चुड़ैल, डायन, त्रिया,  कलंकिनी, कुलक्षिणी,  और अगर शरीफ़ है तो "सिर्फ अपना सोचती है" ये दुनिया है! जिसमें लड़की अपनी जगह खोजती है! होशियार! अपने से जो लड़ाई है, वो इस दुनिया की बनाई है, वो सोच, वो आदत,  एहसास–ए–कमतरी, शक सारे,  गलत–सही में क्यों सारी नपाई है? सारी गुनाहगिरी, इस दुनिया की बनाई, बताई है! मत लड़िए, बस हर दिन, हर लम्हा अपना साथ दीजिए. (पितृसता, ग्लोबलाइजेशन और तंग सोच की दुनिया में अपनी ...

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

जिंदगी ज़हर!

जिंदगी ज़हर है इसलिए रोज़ पीते हैं, नकाबिल दर्द कोई, (ये)कैसा असर होता है? मौत के काबिल नहीं इसलिए जीते हैं, कौन कमबख्त जीने के लिए जीता है! चलों मुस्कुराएं, गले मिलें, मिले जुलें, यूं जिंदा रहने का तमाशा हमें आता है! नफ़रत से मोहब्बत का दौर चला है, पूजा का तौर "हे राम" हुआ जाता है! हमसे नहीं होती वक्त की मुलाज़िमी, सुबह शाम कहां हमको यकीं होता है? चलती-फिरती लाशें हैं चारों तरफ़, सांस चलने से झूठा गुमान होता है! नेक इरादों का बाज़ार बन गई दुनिया, इसी पैग़ाम का सब इश्तहार होता है! हवा ज़हर हुई है पानी हुआ जाता है, डेवलपमेंट का ये मानी हुआ जा ता है।