कोई सामान है खरीदा जो रहे आपके हाथ?
रहे
आपके हाथ बस,
बात
उतनी ही कीजे,
लगे
सुनाने चार,
जो
मुरख को मौका दीजे!
जो
मूरख बोले बात वो गांठ के
लीजे,
कल के मुर्दे गाड़, आज ठाट कर लीजे
कल के मुर्दे गाड़, आज ठाट कर लीजे
बड़े
ठाट से घुमे,
झुमे
चार चौबारे,
थे
वारे न्यारे सच, जो अब कड़वे
सारे
कड़वे
पड़ गये सच तो जरा चाट के लीज़े,
है
काम की चीज़ बड़ी,
जरा
बाँट कि लीजे!
प्यार
कहे थे कभी,
अभी
ये कैसी नफ़रत
नफ़रत
नहीं इलाज़ जख्म को मलहम कीजे,
लंबा
है सफ़र वज़न ज़रा हल्का कर लीजे,
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